यस बैंक के पूर्व MD और CEO राणा कपूर के संबंध में सेबी का हालिया फैसला मौजूदा कानूनी गाथा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। मामले की जटिलताओं के बीच कपूर के बैंक और डीमैट खातों पर प्रतिबंध हटाना एक राहत के रूप में आया है।
सेबी का बड़ा फैसला:
बाजार नियामक सेबी ने राणा कपूर की वित्तीय संपत्तियों को लेकर एक अहम फैसला लिया है। सेबी द्वारा पूर्व में जारी कपूर के बैंक खातों, शेयरों और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स को फ्रीज करने का आदेश हटा लिया गया है। यस बैंक के अतिरिक्त टियर-1 बॉन्ड (AT1 बॉन्ड) से जुड़े मामले के कारण प्रतिबंधों का सामना करने के बाद इस फैसले से कपूर को राहत मिली है।
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पृष्ठभूमि कहानी:
इस साल की शुरुआत में, सेबी ने कपूर को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें यस बैंक के AT1 बॉन्ड की गलत बिक्री में शामिल होने के लिए 2.22 करोड़ रुपये जमा करने की मांग की गई थी। दी गई समय सीमा के भीतर अनुपालन करने में विफलता के कारण गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त हो सकती है। कपूर द्वारा भुगतान करने में असमर्थता के बाद, सेबी ने उनके बैंक खाते, डीमैट खाते और म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो को जब्त कर लिया।
सैट द्वारा हस्तक्षेप:
प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) ने AT1 बॉन्ड के संबंध में SEBI के निर्देश पर अंतरिम स्थगन आदेश प्रदान करके हस्तक्षेप किया। नतीजतन, कपूर को छह सप्ताह के भीतर 50 लाख रुपये जमा करने की आवश्यकता थी, जिसे उन्होंने तुरंत पूरा किया। आगामी 20 नवंबर को होने वाली अंतिम सुनवाई इस जटिल कानूनी मामले को सुलझाने में और भी महत्व रखती है।
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ED की जांच:
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2020 में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत यस बैंक घोटाले के संबंध में राणा कपूर के खिलाफ कार्रवाई की। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भी कपूर के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तहत मामला दर्ज किया था। वर्ष।
यह हालिया घटनाक्रम यस बैंक मामले और कपूर की संलिप्तता से जुड़ी जटिल कानूनी कार्यवाही को रेखांकित करता है, वित्तीय नियमों और उनके प्रवर्तन की जटिलताओं पर प्रकाश डालता है।
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